कपास पर प्रति क्विंटल १२००० रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग कर रहे किसान, उत्पादन में कमी से अंतर्राष्टीय बाजार भी चिंतिंत

किसान कपास (cotton) की फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ोत्तरी को लेकर मांग कर रहे हैं, जिसके लिए किसान २९ -३१ अक्टूबर इसके लिए विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्यों में कपास उत्पादन करने वाले किसान चालू सीजन के चलते ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में १२००० रुपये की बढ़ोत्तरी की मांग सरकार के समक्ष रख रहे हैं। कपास किसान संगठन ने बताया है कि, मांगों के सम्बन्ध में २९ से ३१ अक्टूबर तक प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें राज्य में कपास की खेती करने वाले सभी किसान शम्मिलित होंगे। कपास किसानों का दावा है कि एक क्विंटल कपास उत्पादन के लिए ₹८००० प्रति क्विंटल खर्च होता है। इस साल असामान्य रहे मॉनसून के कारण कपास की फसल प्रभावित हुई है। इससे उन्हें अतिरिक्त श्रम और फसल की देखरेख के लिए अधिक व्यय सहन करना पड़ा है, हालांकि भारत की बात करें तो देश में इस बार कपास का रकबा ७ प्रतिशत अधिक है।


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सितंबर माह तक लगभग १२६ लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई संपन्न हो चुकी है, पिछले साल की समान अवधि में कपास का रकबा ११७ लाख हेक्टेयर था। मंडियों में कपास की आवक होने के साथ ही हाजिर बाजार में कपास के दामों में कमी दर्ज की गई है। पिछले एक सप्ताह में लगभग कपास का भाव ४ प्रतिशत से घटकर ₹४३००० प्रति गांठ तक पहुँच चुका था। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CIA) के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने बताया है कि १४ सालों की रिकॉर्ड कमी के उपरांत कपास फसल के क्षेत्र में इस साल १० प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। मॉनसून सक्रिय होने के कारण इस साल तेलंगाना के अतिरिक्त कई राज्यों में प्रति हेक्टेयर पैदावार में वृद्धि का अनुमान है। गुजरात में इस वर्ष ९१ लाख कपास की गांठ एवं महाराष्ट्र में ८४ लाख गांठ तैयार होने की सम्भावना है। वहीं मध्य प्रदेश में पिछले साल की अपेक्षा में इस साल २० लाख गांठ बढ़कर १९५ लाख गांठ तैयार होने की सम्भावना है। उत्तर भारत की बात करें तो पंजाब सहित अन्य प्रदेशों में रूई का उत्पादन ५० लाख गांठ के लगभग होगा।

कपास उत्पादन के सम्बन्ध में अंतरराष्ट्रीय बाजार भी चिंतित

रॉयटर ने एक रिपोर्ट के मुताबिक कहा है कि भारत इस बार कपास के निर्यात में कमी करेगा। नवीन सत्र में भारत निर्यात घटाकर ३५ लाख गांठ कर सकता है। इसकी प्रमुख वजह देश में कपास की खपत बढ़ने एवं उत्पादन में कमी होना है। अमेरिकी कृषि विभाग द्वारा कपास की कम पैदावार होने के सन्दर्भ चिंता जताते हुए कहा है कि कपास का आयात एवं निर्यात पिछले सालों की अपेक्षा में सबसे निचले पायदान पर आ गया है।